नाज़रीन आज हम आपके लिए बहुत अहम और जरूरी पोस्ट Taraweeh ki Namaz Padhne ka Tarika. और Taraweeh Namaz Ki Niyat. के बारे में बताऊंगा। Taraweeh ki Namaz को लेकर बहुत कन्फ्यूज़ रहती है और परेशान रहती है । लेकिन आज हम इनशाल्लाह आपको Taraweeh ki Namaz से जुड़ी सारी प्रॉब्लेम दूर करेंगे।
इंशाअल्लाह इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप तरावीह के नमाज़ के तरीक़े के बारे में अच्छे से जान जाएंगे तो चलिए जानते है की तरावीह की नमाज़ पढ़ने का तरीका क्या है और कैसे पढ़ते है.
Taraweeh ki Namaz ka Tarika
तरावीह की नमाज़ 20 रकअत का होता है जो रमजान के महीने में हर मस्जिद या मदरसे में चाँद रात से पढ़ी जाती है और तरावीह हर मुस्लमान को पढ़ना चाहिए Taraweeh ki Namaz ईशा की नमाज के बाद पढ़ी जाती है.तरावीह की नमाज़ को 2 तरह से पढ़ी जाती है.
- पहला जिसमे एक ख़तम कुरान शरीफ पढ़ा जाता है.
- दूसरा सूरह तरावी इसमें सूरह द्वारा नमाज़ पढ़ा जाता है.
तरावीह की नमाज़ के बारे में कुछ ज़रूरी बातें.
- तरावीह की नमाज़ एक सुन्नत ए मोकिदा नमाज़ है
- तरावीह की नमाज़ ईशा की नमाज़ के वक्त पढ़ी जाती है।
- तरावीह की नमाज़ में पूरी 20 रकात की नमाज़ होती है ।
- तरावीह की नमाज़ दो-दो रकात करके हम 20 रकात पढ़ते हैं.
तरावीह का वक्त ईशा की नमाज पढ़ने के बाद से शुरू होता है और सुबह सादिक तक रहता है। वित्र की नमाज तरावीह से पहले भी पढ़ सकते और बाद में भी, लेकिन बाद में पढ़ना बेहतर है। तरावीह की नमाज दो-दो रकात करके पढ़नी चाहिए। हर 4 रकअत के बाद कुछ देर ठहर कर आराम कर लेना मुस्तहब है उस आराम लेने के दरम्यान आहिस्ता आहिस्ता तरावीह की दुआ यानि तस्बेह तरावीह पढ़ते रहें।
पूरे महीने में एक कुरआन शरीफ तरावीह के अंदर पढ़ना-सुनना सुन्नत माना गया है। कुरआन शरीफ पूरे महीने में दो मर्तबा ख़त्म करना अफज़ल है। उस से ज्यादा हो तो क्या कहना। तरावीह पढ़ना और तरावीह में एक कुरान मजीद खत्म करना ये दोनों अलग अलग सुन्नते हैं। तरावीह में नमाज पुरा होने के बाद भी नमाज पूरे माह अदा करना जरूरी है।
(ads)
पूरे महीने में एक कुरआन शरीफ तरावीह के अंदर पढ़ना-सुनना सुन्नत माना गया है। कुरआन शरीफ पूरे महीने में दो मर्तबा ख़त्म करना अफज़ल है। उस से ज्यादा हो तो क्या कहना। तरावीह पढ़ना और तरावीह में एक कुरान मजीद खत्म करना ये दोनों अलग अलग सुन्नते हैं। तरावीह में नमाज पुरा होने के बाद भी नमाज पूरे माह अदा करना जरूरी है।
Taraweeh Namaz ki 2 Rakat Sunnat Padhne ka Tarika
तरावीह की 2 रकअत सुन्नत पढ़ने के लिए आप को सबसे पहले नियत करना होगा। नियत का तरीका निचे दिया गया है आइए अब जानते हैं कि तरावीह की नियत करने का सही तरीका क्या है.Taraweeh Namaz Ki Niyat in hindi
नियत की मैंने 2 रकत नमाज़ सुन्नत तरावीह वास्ते अल्लाह ताअला के मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ पीछे इस इमाम के अल्लाहु अकबर.Taraweeh Namaz Padhne Ka Tarika. आसान भासा हिंदी में.
तरावीह की नमाज़ की पहली रकारत अगर आप इमाम के साथ पढ़ रहे है तो आप सिर्फ सना पढ़े या अकेले पढ़ रहे है तो आम नमाजो के तरह पढ़े।
सबसे पहले आप इमाम के पीछे खड़े हो जाए फिर पहले आप सना पढ़ें यानि सुब्हानका अल्लहुमा वबी हमदिका। आनी सना पढ़े.
सबसे पहले आप इमाम के पीछे खड़े हो जाए फिर पहले आप सना पढ़ें यानि सुब्हानका अल्लहुमा वबी हमदिका। आनी सना पढ़े.
फिर दूसरा ताउज पढ़ें यानि के आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम और बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ें। इसके बाद आप चुप हो जाए इमाम की अल्हम्दो लिल्लाहे सुने फिर सूरह सुने।
इसके बाद आप रुकू के लिए जाएँ। रुकु में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें।
फिर इमाम बोलेगा समी अल्लाह हुलेमन हमीदा तो आप कहेंगे रब्बना लकल हम्द फिर अल्लाह हुअक्बर कहते हुए सजदे में चले जाए।
सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें इसी तरह दो बार सज़दा करे.
इसके बाद आप रुकू के लिए जाएँ और जैसा की हमने पहले भी बताया है रुकु में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें।
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक बार रब्बना लकल हम्द भी कहें।
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें फिर आप अल्लाहु अकबर कह कर अपने पंजो पर बैठ जाएँ जैसे नमाज़ में बैठते है।
सबसे पहले एक मर्तबा अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुए अपने शहादत के ऊँगली को उठायें।
इसके बाद आप रुकू के लिए जाएँ। रुकु में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें।
फिर इमाम बोलेगा समी अल्लाह हुलेमन हमीदा तो आप कहेंगे रब्बना लकल हम्द फिर अल्लाह हुअक्बर कहते हुए सजदे में चले जाए।
सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें इसी तरह दो बार सज़दा करे.
नमाज़ की दूसरी रकात
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरे रकात के लिए खड़े हो जाएँ दूसरे रकात में सिर्फ आप बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ कर सूरह फातिहा यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें इसके बाद क़ुरान शरीफ का कोई एक सूरह पढ़ें।इसके बाद आप रुकू के लिए जाएँ और जैसा की हमने पहले भी बताया है रुकु में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें।
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक बार रब्बना लकल हम्द भी कहें।
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें फिर आप अल्लाहु अकबर कह कर अपने पंजो पर बैठ जाएँ जैसे नमाज़ में बैठते है।
सबसे पहले एक मर्तबा अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुए अपने शहादत के ऊँगली को उठायें।
उसके बाद एक मर्तबा दरूदे इब्राहिम पढ़ें।
उसके बाद एक मर्तबा दुआ ए मासुरा पढ़ें।
और फिर सलाम फेरें अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले दाएं जानिब मुंह फेरे फिर अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह बाएं जानिब मुंह फेरें |
इस तरह से आपकी तरावीह की 2 रकात सुन्नत पूरी हो गयी।
जैसे आप दो रकअत मुकम्मल किये वैसे ही दो रकअत पढ़े जब आपका चार रकअत मुकम्मल हो जाये तो Taraweeh ki Dua पढ़े.
Taraweeh ki Dua in hindi
- सुब्हा-नल मलिकिल क़ुद्दूस *
- सुब्हा-न ज़िल मुल्कि वल म-ल कूत *
- सुब्हा-न ज़िल इज्जती वल अ-ज़-मति वल-हैबति वल क़ुदरति वल-किब्रियाइ वल-ज-ब-रुत *
- सुब्हा-नल मलिकिल हैय्यिल्लज़ी ला यनामु व ला यमूत *
- सुब्बुहुन कुद्दूसुन रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर्रूह *
- अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन्नारि *
- या मुजीरु या मुजीरु या मुजीर *
Taraweeh ki Dua in Arabic
سُبْحَانَ ذِى الْمُلْكِ وَالْمَلَكُوْتِ سُبْحاَنَ ذِى الْعِزَّةِ وَالْعَظْمَةِ وَالْهَيْبَةِ وَالْقُدْرَةِ وَالْكِبْرِيَآءِ وَالْجَبَرُوْتِ سُبْحَانَ الْمَلِكِ الْحَىِّ الَّذِىْ لَا يَنَامُ وَلَا يَمُوْتُ سُبُّوْحٌ قُدُّوْسٌ رَبُّنَا وَرَبُّ الْمَلٰٓئِكَةِ وَالرُّوْحِ اَللّٰهُمَّ اَجِرْنَا مِنَ النَّارِ يَا مُجِيْرُ يَا مُجِيْرُ يَا مُجِيْرُTaraweeh ki Dua in English
Subhaana zil mulki wal malakootSubhaana zil izzati wal azmatiWal hai bati wal qudratiWal kib riya i wal jabarootSubhaanal malikil hayyil laziLa yanamu walaa yamootSubboohun quddoosunRabbuna wa rabbul malaa ikati warroohAllahumma ajirna minannaarYa mujeeru Ya mujeeru Ya mujeer
लेकिन हमें उस का मतलब यह नहीं की आप ने रमज़ान में इबादत या तरावीह पढ़ने से मना कर दिया बल्कि रमज़ान की रातों में ज्यादा से ज्यादा इबादत करने की ताकीद की और फरमाया की: “जो शक्स रमज़ान की रातों को इबादत में गुजारेगा उस के पिछले सारे गुनाह माफ हो जाने गे”। (सहीह बुखारी : 37, सही मुस्लिम : 759)
यही वजाह है की सहाबा रमज़ान के महीने में बहुत ज्यादा इबादत करते थे, जो हाफिज़ ए क़ुरान थे वह खुद नफ़िल नमाजो में क़ुरान पढते थे, और जो लोग हाफिज़ नहीं थे, वह दुसरो के पीछे नफ़िल पढते थे, और हुजुर सल्लाह अलैहे वसल्लम इन सबको देखते थे मगर आप ने कभी उस से नराज नहीं हुए।
फिर आप दोनों हाथो को उठा कर दुआ मांगे इसी तरह हर चार रकअत पर दुआ मांगे और बिस रकअत पढ़े आपका तरावीह नमाज मुकम्मल हो जायेगा
क्या रसूलुल्लाह (S.A.W) ने तरावीह की नमाज़ पढ़ाई है?
सहीह हदीसों से यह बात साबित है की रसूलुल्लाह सल्लाह अलैहे वसल्लम रमजान के महीने में 3 दिन जमात के साथ तरावीह की नमाज़ पढ़ाई है, लेकिन जब लोग ज्यादा होने लगे और सहाबा के जज्बा और शौक़ को देख कर आप सल्लाह अलैहे वसल्लम को यह ख़तरा हुआ की कहीं यह नमाज़ फ़र्ज़ और ज़रूरी न हो जाए और लोग उसे न पढ़ सके, इसके बाद नमाज़ जमात से नहीं पढ़ाई (Sahih Bukhari: 924, Sahih Muslim: 761)लेकिन हमें उस का मतलब यह नहीं की आप ने रमज़ान में इबादत या तरावीह पढ़ने से मना कर दिया बल्कि रमज़ान की रातों में ज्यादा से ज्यादा इबादत करने की ताकीद की और फरमाया की: “जो शक्स रमज़ान की रातों को इबादत में गुजारेगा उस के पिछले सारे गुनाह माफ हो जाने गे”। (सहीह बुखारी : 37, सही मुस्लिम : 759)
यही वजाह है की सहाबा रमज़ान के महीने में बहुत ज्यादा इबादत करते थे, जो हाफिज़ ए क़ुरान थे वह खुद नफ़िल नमाजो में क़ुरान पढते थे, और जो लोग हाफिज़ नहीं थे, वह दुसरो के पीछे नफ़िल पढते थे, और हुजुर सल्लाह अलैहे वसल्लम इन सबको देखते थे मगर आप ने कभी उस से नराज नहीं हुए।
Taraweeh ki Namaz ka Tarika (FAQs)
Taraweeh ki Namaz Kya hai?
तरावीह रमजान के महीने में ईशा की नमाज़ के बाद 2.दो 2.दो रकात कर के 20 रकात तक जो नमाज़े पढ़ी जाती है. और हर चार रकात के बाद थोड़ी देर बैठ कर तरावीह की दुआ पढ़ते है उसको तरावीह कहते है.Taraweeh ki Namaz Kitni rakat hai?
तरावीह की नमाज़ 20 रकात होती है जो दो दो रकात करके पढ़ा जाता है.Taraweeh ki Namaz sunnat hai ! Ya Nafil?
रमजान महीने में पढ़े जाने वाले तरावीह की नमाज़ मर्द और औरत जो नमाज़ के काबिल हो उसके लिए सुन्नत e मुआक्कादाह हैTaraweeh Namaz ki Niyat Kaise kare?
जिस तरह से बाकी नमाजो की नियत होती है वैसी ही तरावीह की नमाज़ की नियत भी पढ़ा जाता है जैसे: “नियत की मैंने 2 रकत नमाज़ सुन्नत तरावीह वास्ते अल्लाह ताअला के मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ पीछे इस इमाम के अल्लाहु अकबर।Taraweeh ki Dua Kaise Padhi jati hai?
जिस तरह से बाकि सारे दुआ पढ़े जाते है वैसे की तरावीह की दुआ भी पढ़ा जाता है लेकिन कब और कौन से दुआ पढ़ा जाता है उसका टाइम होता है. और तरावीह की दुआ को पढने का टाइम चार रकात तरावीह की नमाज़ पढने के बाद पढ़ा जाता है.अगर किसी को पूरी 10 सूरतें नहीं याद हैं तो करें?
अगर किसी को दस सुरह याद न जो सुरह अलम तारा से लेकर सुरह नास तक होता है तो उस कंडीशन में अगर कोई भी सुरह याद है तो उसी को बार बार पढ़ सकते है इसमें कोई हर्ज़ नहीं है.क्या घर में अकेले Taraweeh Ki Namaz पढ़ सकते हैं?
हाँ, अगर आपको ऐसी जगह हो जहाँ पे नमाज़ जमात के साथ नहीं पढ़ सकते तो उस कंडीशन में अकेले घर में पढ़ सकते है.Taraweeh Ki Namaz में 2, 2, रकात की नियत करनी हैं या 4 की भी नियत कर सकते हैं?
बेहतर है हर बार 2, 2, रकात करके नियत करना चाहिए.औरतो को तरावीह की नमाज़ पढ़ना फ़र्ज़ है या सुन्नत?
अल्लाह ता’अला फरमाते है मर्द और औरत दोनों के लिए तरावीह की नमाज़ सुन्नत मुकिदा है.Conclusion
आज अपने Taraweeh ki Namaz ka Tarika. शुरू से और बढ़िया से सीखा उम्मीद करते है की आपको हमारी ये इनफार्मेशन अच्छी लगी हो. इसके अलावा Taraweeh ki dua , Taraweeh ki niyat. को भी आज आपने जाना है. अगर आप चाहते है की हम आपके लिए ऐसी ही जरूरी पोस्ट लाते रहे तो आप islamic-Hindi वेबसाइट पर बने रहे। अससलामु अलैकुम
Please do not enter any spam link in the comment box?