आज इस आर्टिकल में आपको सिखने को मिलेगा 3 Rakat Witr Ki Namaz Padhne Ka Aasan Tarika और वित्र की नमाज़ में क्या-क्या पढ़े इसके बारे में बताऊंगा। हम सबको मालूम ही है की वित्र की नमाज़ ईशा की नमाज़ के वक़्त पढ़ी जाती है, वित्र की नमाज़ में 3 रकात नमाज़ होती है, अगर आप भी Witr Namaz Ka Tarika भूल गए हैं तो ऐसे में वित्र की नमाज पढ़ने की पूरी जानकारी आपको इस आर्टिकल के माध्यम से दिया जा रहा है, वित्र की नमाज़ पढ़ने का आसान तरीका।
3 Rakat Witr ki Namaz Padhne Ka Aasan Tarika
ईशा की नमाज 17 रकात की होती है जिसमे से चार रकात सुन्नत और फर्ज, दो रकात सुन्नत एंव नफ्ल और तीन रकात वित्र की नमाज और दो रकात नफ्ल इस तरह से पुरे 17 रकात नमाज ईशा की नमाज में पढ़ी जाती है.- चार रकात सुन्नत
- चार रकात फर्ज
- दो रकात सुन्नत
- दो रकात नफ्ल
- तीन रकात वित्र
- दो रकात नफ्ल
वित्र की नमाज़ की नीयत करने का तरीका
सबसे पहले नियत करें इस तरह
नियत की मैंने 3 रकात नमाज़ वाजिब वित्र की वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर. कह कर नियत बाँध लें |
दूसरा ताउज पढ़ें यानि के आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम पढ़ें.
अब सूरह फातिहा पढ़ें यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें.
अब आप क़ुरान शरीफ की कोई एक सूरह पढ़ें.
उसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे रुकू में जाएँ रुकू में जाने के बाद कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें.
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुवे खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा रब्बना लकल हम्द भी कहें |
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे दोनो सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें | दो बार सजदा करे. फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाये. अब आपकी एक रकअत नमाज़ हो गयी है.
नियत की मैंने 3 रकात नमाज़ वाजिब वित्र की वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर. कह कर नियत बाँध लें |
वित्र नमाज़ की पहली रकात
सबसे पहले आप सना पढ़ें यानि सुब्हानका अल्लहुमा वबी हमदिका.दूसरा ताउज पढ़ें यानि के आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम पढ़ें.
अब सूरह फातिहा पढ़ें यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें.
अब आप क़ुरान शरीफ की कोई एक सूरह पढ़ें.
उसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे रुकू में जाएँ रुकू में जाने के बाद कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें.
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुवे खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा रब्बना लकल हम्द भी कहें |
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे दोनो सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें | दो बार सजदा करे. फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाये. अब आपकी एक रकअत नमाज़ हो गयी है.
वित्र नमाज़ की दूसरी रकात
दूसरे रकात में सिर्फ आप बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ कर सूरह फातिहा यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें इसके बाद क़ुरान शरीफ का कोई एक सूरह पढ़ें।इसके बाद आप रुकू के लिए जाएँ और जैसा की हमने पहले भी बताया है रुके में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें।
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुवे खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक बार रब्बना लकल हम्द भी कहें |
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे दोनो सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें फिर आप अल्लाहु अकबर कह कर अपने पंजो पर बैठ जाएँ जैसे नमाज़ में बैठते है |
जब आप मुकम्मल तरीके से बैठ जाएँ तो अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुवे अपने शहादत ऊँगली को उठायें फिर अल्लाहु अकबर कहते हुवे तीसरी रकात के लिए खड़े हो जाएँ |
वित्र की तीसरी रकात।
वित्र नमाज़ की तीसरी रकात
तीसरी रकात में भी सबसे पहले आप तस्मियाँ यानि बिस्मिल्लाहहिर्रहमा निर्रहीम पढ़ें इसके बाद सूरह फातिहा यानि के अल्हम्दुलिल्लाह पढ़ें इसके बाद क़ुरान शरीफ का कोई एक सूरह पढ़ें |यहाँ आप रुकू में ना जाएँ बल्कि अल्लाहु अकबर कहते हुवे अपने दोनों हांथों को कानो के लॉ तक ले जाएँ और फिर अपने नाफ के निचे बाँध लें.
हाँथ बाँधने के बाद एक मर्तबा आप दुआ ए क़ुनूत पढ़ें | अगर आप में से किसी को दुआ ए क़ुनूत याद न हो तो आप एक मर्तबा ये दुआ पढ़ लें इन्शाह अल्लाह आपकी नमाज़ कुबूल हो जाएगी
( रब्बना आतैना फिद दुनिया हस न तौ वाफिल आखिरति हस नतौ वाकिना अज़ाबननार )
उसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे रुकू में जाएँ रुकू में जाने के बाद कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें।
फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुवे खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा रब्बना लकल हम्द भी कहें।
फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुवे दोनो सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें, सबसे पहले एक मर्तबा अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुवे अपने शहादत के ऊँगली को उठायें |
उसके बाद एक मर्तबा दरूद शरीफ पढ़ें |
उसके बाद एक मर्तबा दुआ ए मासुरा पढ़ें
और फिर सलाम फेरें अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले दाएं जानिब मुंह फेरे फिर अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह बाएं जानिब मुंह फेरें।
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